श्रीडूंगरगढ़ टुडे 6 जुलाई 2025
श्रीडूंगरगढ़ वन विभाग द्वारा त्वरित व सशक्त कार्रवाई करते हुए सत्तासर गांव निवासी भगवानाराम पुत्र रामकिशन जाति वनबावरी को राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी को टीम द्वारा न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ से उसे दो दिन की रिमांड पर वन विभाग को सौंप दिया गया है। इस प्रकरण में एक बाल अपचारी की भी भूमिका की जांच की जा रही है।

सहायक वन संरक्षक श्रीडूंगरगढ़ सत्यपाल सिंह ने बताया कि शनिवार शाम को आरोपी भगवानाराम मोटरसाइकिल से डेलवा गांव जाकर वापस लालासर लौट रहा था, जहाँ वह देवीसिंह राजपूत के खेत पर काम करता है। रास्ते में सुरजनसर गांव की रोही में सड़क के पास एक खेत में उसने गुलेल से मोर का शिकार किया और मृत पक्षी को कट्टे में डालकर फरार होने की फिराक में था। इसी दौरान खेत मालिक मुकेश जाट पुत्र भोजाराम जाट निवासी सुरजनसर एवं उनके साथी शंकरलाल जाट ने उसे देख लिया
मुकेश जाट ने इस घटना की जानकारी वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी दीनू खान के माध्यम से सहायक वन संरक्षक सत्यपाल सिंह को दी। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम जिसमें वनपाल हरिकिशन, वनरक्षक सीताराम, राजेंद्र बारोठिया, गिरधारीलाल मदेरणा मौके पर पहुंचे इसी दौरान मुकेश जाट और शंकरलाल जाट ने बहादुरी दिखाते हुए आरोपी को वन विभाग की टीम के आने तक पकड़कर रखा। साथ ही आपणो गांव सेवा समिति श्रीडूंगरगढ़ तथा युवा ब्रिगेड सुरजनसर के कार्यकर्ता भी घटनास्थल पर पहुंचे और सहयोग प्रदान किया। वन विभाग की टीम ने मौके से भगवानाराम को गिरफ्तार कर उसके पास से मृत मोर का शव एवं एक गुलेल बरामद की।

इस घटना के दौरान आरोपी के साथ एक बाल अपचारी भी मौजूद था, जो वन विभाग की टीम के आने से पहले ही मौके से फरार हो गया। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी ने पूर्व में भी मोरों का शिकार करने की बात स्वीकार की है। मृत मोर के शव का पोस्टमार्टम पशु चिकित्सक बोर्ड से करवाया गया है। साथ ही आरोपी की मोटरसाइकिल को भी जब्त कर वन विभाग की टीम ने कब्जे में ले लिया है। प्रकरण की जांच वन रेंज अधिकारी सुभाष चंद्र वर्मा द्वारा की जा रही है।
वन विभाग द्वारा आमजन से अपील की गई है कि वन्यजीवों के शिकार या अन्य अवैध गतिविधियों की सूचना तुरंत विभाग को दें, ताकि ऐसी घटनाओं पर समय रहते रोक लगाई जा सके। राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत गंभीर दंडनीय अपराध है, जिसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है। यह कार्यवाही वन्यजीव संरक्षण के प्रति वन विभाग की शून्य सहनशीलता’ की नीति को प्रतिबिंबित करती है।