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श्रीडूंगरगढ़ के कालूबास में हादसे को निमंत्रण देता स्कूल भवन विधायक ने किया निरीक्षण लगाई फटकार

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श्री डूंगरगढ़ टुडे 28 जुलाई 2025

झालावाड़ में 7 बच्चों की मौत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन; श्रीडूंगरगढ़ के सरकारी स्कूल की छत गिरने को तैयार, बच्चे खौफ में पढ़ रहे

60 साल पुराना भवन घोषित हो चुका है खतरनाक, 4 मार्च 2025 को दिए गए थे तोड़ने के आदेश, अब तक नहीं हुई कार्रवाईविधायक ताराचंद सारस्वत ने किया औचक निरीक्षण, अफसरों को लगाई फटकार, 47 बच्चों को शिफ्ट करने के दिए निर्देश

श्रीडूंगरगढ़। झालावाड़ जिले में सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 मासूमों की मौत ने प्रदेश को झकझोर दिया, लेकिन श्रीडूंगरगढ़ प्रशासन अब तक गहरी नींद में है। कस्बे के कालू बास में स्थित राजकीय माहेश्वरी बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय का भवन हादसे को न्यौता दे रहा है। छत से चुनाई गिर रही है, दीवारों में दरारें हैं, हर कक्षा में सीलन से हाल बेहाल है और छत की पट्टियों में कभी भी टूटकर गिर जाने वाली दरारें है। हैरानी की बात यह है कि बरसात के दिनों में पूरे कक्षा कक्ष पानी से भर जाते हैं और अब इन कक्षों का फर्श भी धंसने लगा है।

कक्षों में सीलन की शुमार, दीवारें हुई कमजोर

विद्यालय में फिलहाल 47 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, जिनमें से 41 बालिकाएं हैं। बच्चों के अभिभावकों ने डर के चलते स्कूल भेजना तक बंद कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि इस भवन को 4 मार्च 2025 को ही खतरनाक घोषित कर तोड़ने के आदेश दिए गए थे, लेकिन प्रशासनिक सुस्ती के चलते अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

विधायक पहुंचे मौके पर, अधिकारियों को लगाई फटकार
सोमवार को विधायक ताराचंद सारस्वत ने विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। स्थिति देखकर वे बेहद नाराज हुए। उन्होंने मौके से ही सीबीईओ को फोन किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। इसके बाद उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी रामगोपाल को कॉल कर पूरी स्थिति से अवगत करवाया। डीईओ ने तत्काल एक प्रतिनिधि को मौके पर भेजा।

सीलन की दमघोटू बू और कमजोर छत, दीवार और धँसता फर्श

विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका दीपा शर्मा ने बताया कि कई बार जर्जर भवन की शिकायत विभाग को दी गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। मोहल्लेवासियों का कहना है कि यहां बच्चे और अध्यापक दोनों डर के साए में दिन गुजार रहे हैं।

अब विधायक ने दिए सख्त निर्देश

विधायक सारस्वत ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि इस भवन को तुरंत गिराया जाए और सभी विद्यार्थियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए। साथ ही भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो इसके लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई के संकेत भी दिए।

दीवारें ऐसी की कभी भी गिर जाए

अब सवाल यह है — क्या झालावाड़ जैसी कोई और घटना होने का इंतजार है, या श्रीडूंगरगढ़ प्रशासन जागेगा समय रहते?

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