श्रीडूंगरगढ़ टूडे 31 जुलाई 2025
भक्तिकाल की रामभक्ति शाखा के प्रमुख कवि गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म सन् 1532 में “उत्तरप्रदेश” के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था।
इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे व माता का नाम हुलसी देवी था। इनके पिता ने अभूक्तमूलक अशुभ नक्षत्र में जन्म लेने के कारण इन्हें त्याग दिया था संत नरहरिदास इनके गुरु थे।
इन्होंने ही तुलसीदास जी को शमभक्ति में दीक्षित किया। इनकी पत्नी रत्नावली की फटकार ने इन्हें वैरागी बना दिया।
तुलसी हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल की सगुण काव्य धारा की रामभक्ति शाखा के प्रमुख भक्त कवि है।
तुलसी लोक मंगल की भावना के कवि है जो इनकी काव्य संवेदना और काव्य भाषा में देखने को मिलती है।
तुलसीदास जी का काव्य समन्वयवाद का श्रेष्ठ उदाहरण है, जिसमें तुलसी ने समाज के मार्गदर्शन तथा संगठन का प्रशंसनीय कार्य किया है।
तुलसी की संस्कृत भाषा में सर्जन क्षमता होने के बावजूद उन्होंने लोकभाषा (अवधी व ब्रजभाषा) को साहित्य रचना का आधार बनाया है। तुलसी में भक्त और रचनाकार का द्वनद्व है। उसी प्रकार शास्त्र व लोक का भी द्वनद्व है।
गोस्वामी जी ग्रामीण और कृषक संस्कृति तथा रक्त सम्बन्ध पर आधारित गृहस्थ जीवन के चितेरे कवि है।तुलसीदास जी को जीवन व जगत् की व्यापक अनुभूति और धार्मिक प्रसंगों की गहरी समझ है,जो इन्हें महाकवि बनाती है।
तुलसी जी का रामचरित मानस (सात काण्ड) हिन्दी का अद्वितीय महाकाव्य है।उनका राम ईश्वर की अपेक्षा मानव चरित्र को देशकाल के मानवीय धरातल पर पुनः सृष्ट चरित है। इनमें भाव, विचार, काव्य रूप, छंद और काव्यभाषा व सांगरूपक अलंकार की बहुलता अद्वितीय है)
प्रमुख रचनाए
दोहावली,गीतावली,कवितावली,कृष्ण गीतावली, रामचरितमानस,रामाज्ञा-प्रश्नावली, रामलला नहछू, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, बरवै रामायण,वैराग्य संदीपनी, हनुमान बाहुक (अपूर्ण)।
निधन – सन् 1623 श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी को।
