श्रीडूंगरगढ़ टूडे 15 अगस्त 2025
आज का दिन कोई आम दिन नहीं है।
आज का दिन उस सूरज की तरह है,
जो गुलामी के अंधेरे को चीरकर हमारे लिए आजादी
की रोशनी लेकर आया था। 15 अगस्त, 1947- वो दिन जब भारत ने केवल अंग्रेजों की जंजीरों को नहीं तोड़ा बल्कि डर, चुप्पी और पराधीनता के सन्नाटे को भी तोड़ दिया। यह आज़ादी आई थी-
लाखों कुर्बानियों से
जेल की काल कोठरियों में कैद क्रान्तिकारियों से
गोली खाकर झूमते हुए लाला लाजपतराय और
फांसी के फंदे को चूमते हुए भगतसिंह, राजगुरु
और सुखदेव से। गाँधी जी की लाठी से नेताजी की आज़ाद हिन्द फ़ौज से सरदार पटेल लौह-पुरुष के निर्णयों से और अब ये आजादी हमारी जिम्मेदारी है।
आज का सवाल है –
🔹क्या हम आज़ाद भारत के योग्य नागरिक बन पाए हैं?
🔹क्या हम उस भारत का निर्माण कर रहे हैं, जिसका सपना डॉ. कलाम ने देखा था?
🔹क्या हम वो युवा हैं, जो सिर्फ सोशल मीडिया पर स्टेटस लगाकर “जय हिन्द” बोलते हैं,या फिर वो युवा है जो देश के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून रखते हैं?
चलो एक संकल्प लें-
हम सिर्फ 15 अगस्त को नहीं, हर दिन देशभक्त बनें।
हम सिर्फ झंडा नहीं फहराएँगे, अपने अन्दर आत्मगौख की लौ भी जलाएँगे। हम सिर्फ दूसरों को नहीं, खुद को भी बदलेंगे।
हम जात-पात, धर्म, भाषा के झगड़ों से ऊपर उठकर इंसानियत को अपनाएंगे।
असली आज़ादी तब होगी जब कोई भूखा न सोए।
कोई बच्चा बिना शिक्षा के न रहे। और कोई बेटी खुद को असुरक्षित न महसूस करें।
अन्त में बस यहीं है कहना, अपना जीवन देश के लिए है समर्पित करना। अगर तिरंगा सिर्फ कपड़ा नहीं है, तो देश सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं है।
यह भावना है, यह सम्मान है-और इसका हर कतरा हमारे लह में बहता है। तो उठो, जागो और देश को आगे बढ़ाओ। क्योंकि भारत सिर्फ हमारा देश नहीं-यह हमारी पहचान है।।
