श्रीडूंगरगढ़ टुडे 7 अक्टूबर 2025
पढ़ाई के साथ-साथ जीवन में सही और गलत का ज्ञान होना भी बहुत जरूरी है। अकसर हम औरों से अनेक उम्मीदें लगा लेते हैं उन लोगों के लिए अपना समय खराब करते रहते हैं, हमें जब वास्तविकता का एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है इसलिए हमें समय रहते सही क्या है गलत क्या है इन दोनों में फर्क करना आना चाहिए। अक्सर हम अपनी गलती दूसरों पर मढ़ देते हैं बल्कि हमें यह पता होना चाहिए की इंसान खुद ही अपने दुःख का कारण अकसर हम खुद ही लोगों को अपने ऊपर हावी होने देते हैं और जब वे हावी हो जाते हैं, तब हम दुःखी होते हैं।
दूसरों में कमियां न निकाले अपितु खुद्ध की कमियों को सुधारे। दूसरों को अपने पर हावी न होने दे स्वयं के व्यक्तित्व को खुद संभाले। औरों को बुरा कहने से पहल स्वयं में झाँके,अपनी बुराइयों को खुद ही आँके।
संत कवि कबीर जी ने कहा है-
बुरा जो देखन में चला बुरा न मिल्या कोई, जो मन खोजे आपका, मुझसे बुरा न कोई। जीवन में यदि सहजता से आगे बढ़ना है तो स्वयं को सुधारना होगा, अपनी बुराइयों का एहसास खुद ही करना होगा।
जीवन एक पहेली है इसे हर कोई सुलझा नहीं सकता, समझान आने पर उलझा तो सकता है।धर्म वहीं है जो हमें समानता, स्वतन्त्रता दिलाए, न कि वास्तविक जीवन में हमें रुलाए। अकसर मैंने देखा है बच्चे रोते रहते हैं, और लोग पूजा-पाठ करते रहते है। असली पूजा तो मनुष्य मात्र की सेवा है, पहले दे अपने बच्चों पर ध्यान, ताकि हम सबका हो कल्याण। ज्ञान के साथ-साथ नैतिकता का विकास करें, अपने बच्चें क्या कर रहे हैं ये ध्यान करें।
बच्चे तो बच्चे है गलतियां करेंगें, सही समय पर ध्यान नहीं दिया तो हम मिलकर भुगतेंगे सर्वप्रथम बच्चों को मोबाइल से दूर रखना होगा, सही और गलत का हमें भान कराना होगा।
ज्ञान एक ऐसा धन है जो कभी चारी न होगा इस ज्ञान् को कैसे हासिल करना है ये सिखाना होगा। निर्णय लेने की क्षमता का करो विकास,संसार के लागों का हमे होगा आभास भूत, भविष्य की चिन्ता न कर वर्तमान में जीना सीखें, अपनी असफलताओं को भुलाकर जीवन जीना सीखें।
