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मानस की प्रत्येक चौपाई सार्वभौमिक, प्रामाणिक और सत्य है।: सरोज पूनियां वीर सीबीईओ

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श्री डूंगरगढ़ टूडे 1 अगस्त 2025

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् इकाई श्री डूंगरगढ़ द्वारा श्रावण शुक्ला सप्तमी तदनुसार 31 जुलाई 2025 की सायं गोस्वामी तुलसीदास जयंती समारोह का सादगीपूर्ण आयोजन आदर्श विद्या मंदिर प्रांगण में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। सेवा कुंज की बहनों द्वारा दीप मंत्र उच्चारित किया गया इकाई अध्यक्ष श्रीमती भगवती पारीक ‘मनु’ ने पधारे हुए समस्त साहित्य प्रेमियों का स्वागत अभिनन्दन किया। मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमान रविन्द्र जी उपाध्याय ने तुलसीदास जी के संपूर्ण जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। उपाध्याय ने बताया की किस प्रकार बाल्यावस्था से ही अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए संपूर्ण मानव जाति को राम भक्ति और श्रद्धा का पाठ पढ़ाया। समकालीन सभी विद्वानों ने उनकी विद्वता व भक्ति भाव का लोहा माना और उनके समक्ष शीश झुकाया। रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा की रचना के संपूर्ण इतिहास की जानकारी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्रीमती सरोज पूनिया ‘वीर’ द्वारा की गयी।अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वीर ने कहा कि तुलसीदास जी की प्रत्येक चौपाई और दोहा सत्य और प्रामाणिकता की कसौटी पर खरा उतरता है। उसे उसी संदर्भ में समझने और जीवन में अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के साहित्यिक आयोजन भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे तथा साहित्य के क्षेत्र में सच्चा योगदान साबित होंगे।साथ ही नारी जगत को आगे बढ़ने के एवं अपनी संस्कृति व सभ्यता को संजोकर रखने का आह्वान किया। समाज सेवी दीपमाला जी डागा मंचासीन रहे। कार्यक्रम में अंबिका डागा, उभरते कवि कमल कुमार एवं आसाराम जी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए । राजस्थानी कवि व साहित्यकार छैलू चारण ‘छैल’ ने बेटी पर मार्मिक कविता प्रस्तुत कर सभी को भाव-विभोर कर दिया। कार्यक्रम में अनेक संस्थाओं के गणमान्य नागरिक, श्रीडूॅंगरगढ़ के प्रबुद्ध जन, बड़ी संख्या में अध्यापक गण, मातृ शक्ति एवं सेवा धाम के भैया बहिन उपस्थित रहे। उपन्यासकार सम्राट मुंशी प्रेमचंद को याद किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और पाथेयकण के लंबे समय तक संपादक रहे स्व.माणकचंद जी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी ।कार्यक्रम का कुशल संचालन इकाई संयोजक छैलू चारण ‘छैल’ ने किया।

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