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डाइट पर हैं, फ‍िर भी नहीं कम हो रहा वजन? Leptin हार्मोन हो सकता है कारण; इन लक्षणों से करें पहचान

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श्री डूंगरगढ़ टुडे 26 अगस्त 2025

आजकल लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक हो रहे हैं और शरीर में होने वाले बदलावों को समझने लगे हैं। लेप्टिन एक ऐसा हार्मोन है जो हमारे शरीर की चर्बी से बनता है और वजन को बनाए रखने में मदद करता है। लेप्टिन का स्तर शरीर में फैट की मात्रा पर निर्भर करता है। अधिक लेप्टिन होने से डिप्रेशन और बार-बार भूख लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

HighLights

  1. वजन कम करने का सपना हर किसी का होता है।
  2. कुछ हार्मोन ऐसे हैं जो वजन को मेंटेन करते हैं।
  3. लेप्टिन भी उन्हीं हार्मोन में से एक है।

आजकल जितनी बीमारियां बढ़ रहीं हैं तो वहीं लोग अपनी सेहत को लेकर जागरुक भी हो रहे हैं। लोग अपने शरीर में होने वाले छोटे-बड़े बदलावों को समझने की कोशिश भी करने लगे हैं। जैसा कि आप सभी को पता है कि हमारे शरीर के अंदर कई ऐसे हार्मोन होते हैं जो हमारी भूख, वजन और एनर्जी लेवल को बनाए रखने में मदद करते हैं। इन्हीं में से एक खास हार्मोन है, जिसके बारे में जानना हर किसी के लिए फायदेमंद हो सकता है। जी हां, हम एक ऐसे हार्मोन की बात कर रहे हैं, जिसका नाम Leptin है। ये हमारे शरीर की चर्बी से बनता है। अगर आप अभी तक इस हार्मोन के बारे में नहीं जानते थे तो आपको हमारा ये लेख जरूर पढ़ना चाहिए। हम अपने इस लेख में लेप्टिन के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से देने जा रहे हैं।

क्या है लेप्टिन?

क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, लेप्टिन एक ऐसा हार्मोन है जो हमारे शरीर की चर्बी यानी कि फैट से बनता है। इसका काम हमारे शरीर का वजन लंबे समय तक मेंटेन करना होता है। ये हार्मोन हमारे दिमाग को ये संकेत देता है कि हमें भूख लगी है या नहीं। आपको बता दें कि हमारे शरीर में जितनी ज्यादा फैट होती है, लेप्टिन का लेवल भी उतना ही ज्यादा होता है। और अगर हमारे शरीर में फैट कम है तो लेप्टिन भी कम बनता है।

कैसे काम करता है Leptin?

लेप्टिन भूख को कंट्रोल करता है और दिमाग को ये बताता है कि अब खाना बंद करना है क्योंकि पेट भर चुका है। ये हार्मोन हमारे दिमाग के एक हिस्से (हाइपोथैलेमस) पर असर डालता है। हालांकि, ये रोज-रोज की भूख पर असर नहीं करता, बल्कि लंबे समय तक खाने और एनर्जी खर्च के बैलेंस को संभालने का काम करता है। जब कोई वजन कम करने की कोशिश करता है और मोटापा  कम होने लगती है, तब लेप्टिन भी कम हो जाता है। इससे शरीर को लगता है कि अब खाना बहुत जरूरी है। इस कारण इंसान को और ज्यादा भूख लगने लगती है।

लेप्टिन का लेवल कैसे कंट्रोल होता है?

  • लेप्टिन हमारे शरीर की white adipose tissue से बनता है।
  • जितनी ज्यादा फैट होगी, उतनी ज्यादा लेप्टिन बनेगी।
  • जितनी कम चर्बी होगी, उतना कम लेप्टिन होगा।

अगर लेप्टिन ज्यादा हो जाए तो क्या होता है?

जिनका वजन ज्यादा होता है, उन लोगों में लेप्टिन का लेवल भी बहुत ज्यादा होता है। लेकिन जरूरी नहीं कि दिमाग उसे ठीक से पहचान पाए। इसी कंडीशन को लेप्टिन रेजिस्टेंस कहते हैं। ऐसा तब होता है जब दिमाग को भूख खत्म होने का संकेत नहीं मिल पाता है, इसलिए इंसान ओवरईटिंग कर जाता है।

लेप्टिन ज्यादा होने होने पर कौन-सी समस्याएं होती हैं?

  • डिप्रेशन
  • बार-बार भूख लगना
  • दिमागी बीमारियां
  • फैटी लिवर
  • रैब्सन-मेंडनहॉल सिंड्रोम

लेप्टिन रेजिस्टेंस से क्या होता है?

  • इंयान को बार-बार भूख लगती है
  • हमारा शरीर एनर्जी बचाने के लिए मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है
  • कम कैलोरी खर्च होती है
  • वजन बढ़ने लगता है

क्या हैं इसके लक्षण

  • बार-बार भूख लगना
  • ओवरईटिंग
  • वजन बढ़ना
  • कोलेस्ट्रॉल और फैट्स का असंतुलन
  • फैटी लिवर
  • बार-बार बैक्टीरियल इन्फेक्शन
  • शरीर में ज्यादा इंसुलिन बनना
  • सेक्स हार्मोन की कमी होना

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